भरोसे की ताकत, 'बेशरमी', कोई गिला शिकवा न रखना: कॉमेडी स्टार जाकिर खान ने शेयर किए अपने जीवन के सबक

योरस्टोरी के क्रिएटर्स इंक. कॉन्फ्रेंस में, हमने कॉमेडी स्टार जाकिर खान के साथ खास बातचीत की। इस बातचीत के दौरान उन्होंने हमें अपने बचपन के बारे में बताया जिसने उन्हें आकार दिया। उन्होंने जीवन में अब तक क्या सबक सीखे इसको लेकर भी चर्चा की।

भरोसे की ताकत, 'बेशरमी', कोई गिला शिकवा न रखना: कॉमेडी स्टार जाकिर खान ने शेयर किए अपने जीवन के सबक

Monday February 14, 2022,

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कॉमेडी के बेताज बादशाह जाकिर खान आज अपने कई कामों से जाने जाते हैं। कभी उन्होंने एक रेडियो जॉकी (आरजे) के रूप में अपना करियर शुरू किया था, लेकिन वे एक शानदार सितार वादक हैं, कविता लिखते हैं, महत्वाकांक्षी कॉमेडियन्स को संवारते हैं, टीवी शो और फिल्मों में भी एक्टिंग करते हैं। इसके अलावा उन्हें आधुनिक भारत पर उनके हास्य अभिनय के लिए भी जाना जाता है।

लेकिन जाकिर के लिए सफलता आसान नहीं थी। क्रिएटर इकोसिस्टम के सभी हिस्सों को जोड़ने वाली क्रिएटर्स इंक 2022 कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन योरस्टोरी की संस्थापक और सीईओ श्रद्धा शर्मा के साथ अपने दिल की बात शेयर करते हुए जाकिर याद करते हैं कि यह कड़ी मेहनत, बहुत सारे विश्वास और कई अनगिनत घंटों का परिश्रम था जिसके कारण कई बार रातों की नींद हराम हो जाती थी। यहां तक कि आगे बढ़ने के वास्ते पर्याप्त पैसे बचाने के लिए भोजन तक का त्याग करना पड़ता था।

और जहां नियमित लोग इंडस्ट्री से परेशान हो जाते थे और उन लोगों से समर्थन की कमी महसूस करते थे जो इस "इंडस्ट्री में ही फले फूले हैं", तो ऐसे में जाकिर ने अपना रास्ता अपनाया और फैसला किया कि, वह शिकायत करने के बजाय उन लोगों से कुछ सीखने के लिए कोई रास्ता खोजेंगे, जो उन्हें नीचा दिखाते हैं।

वह लोगों से जुड़ने की अपनी काबिलियत का श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं। जाकिर को वह समय याद है जब उनके घर के 'आंगन में उनके सितारवादक पिता को सुनने के लिए इतने सारे लोग हुआ करते थे, कि जब वे चले जाते थे, तो ऐसा लगता था कि लोग किसी मूवी हॉल को खाली कर रहे होते थे।

जाकिर कहते हैं, "मैंने अपने माता-पिता से सीखा है कि लोगो को अपना कैसे बनाते हैं ... सारा खेल बात-चीत का है।"

Zakir Khan

जाकिर उर्दू कवि और भारतीय गीतकार राहत इंदौरी का एक शेर याद करते हुए कहते हैं, "मैं नूर बनके जमाने में फैल जाऊंगा, तुम आफताब में कीड़े निकालते रहना।"

वे कहते हैं, "मैं हर किसी से सीखने की कोशिश करता हूं और इसने मेरी धारणा बदल दी है। मेरी आज की सोच है कि 'दुश्मनो से भी सीख के आएंगे।"

बेशरम होने पर

जब जाकिर अपने करियर की शुरुआत ही कर रहे थे, तब वे थोड़ा अतिरिक्त पॉकेट मनी कमाने के लिए रेस्तरां में सप्ताह में दो या तीन बार सितार बजाते थे। अपने आसन पर जहां वह बैठते और बजाते थे, वहां से उन्हें पूरे रेस्तरां का नजारा दिखता था, और वह लोगों को रेस्तरां के अंदर और बाहर आते हुए देख सकते थे।

उन्होंने उस मौके को एक गेम में तब्दील कर दिया - हर बार जब कोई रेस्तरां में घुसता, तो वह कोशिश करते और अपने दिमाग में अनुमान लगाते कि वे कौन सी डिश ऑर्डर कर सकते हैं, वो देखते थे कि उस व्यक्ति ने कैसा व्यवहार किया, उसने क्या खाया, उसने कितना खर्च किया।

जाकिर कहते हैं, "इसने मुझे लोगों के बारे में बहुत कुछ सिखाया, इससे मुझे यह महसूस करने में भी मदद मिली कि मैं लोगों, उनके जीवन और उनकी बातचीत से प्यार करता हूँ।"

वह मानते हैं कि उस गेम और लोगों और बातचीत के लिए उनके प्यार के कारण, वह कभी-कभी जगहों और बैठकों में देर से पहुंचते हैं क्योंकि वह अपने रास्ते में मिलने वाले बेतरतीब लोगों के साथ बातचीत में इतना तल्लीन हो जाते हैं कि समय का पता ही नहीं चलता।

जाकिर हंसते हुए कहते हैं, "मैं अक्सर जगहों पर देर से पहुँचता हूँ क्योंकि मैं ड्राइवर के साथ बातचीत शुरू कर देता हूं और मुझे उसकी लाइफ में दिलचस्पी आ जाती है। मेरा ज्यादातर समय दूसरे लोगों के जीवन अनावश्यक रूप से शामिल होने और 'बकैती' करने में चला जाता है।"

Zakir Khan

हालांकि, वे कहते हैं कि जैसे वे आज हैं वैसे जब वे बड़े हो रहे थे तो ज्यादा मुखर व्यक्ति नहीं थे। वे कहते हैं कि उन्हें सीखना था कि लोगों के सामने खुद को शर्मिंदा करके और लगातार अपनी हंसी उड़ाकर कैसे खुद को आवाज दी जाए। और भले ही इसने उन्हें हर्ट किया हो, लेकिन एक दिन उन्होंने फैसला किया कि वह इसे अब और खुद पर हावी नहीं होने देंगे, क्योंकि बोलने से ज्यादा न बोलने में दिक्कत थी।

वे कहते हैं, "बेशरम होने के फायदे बहुत ज्यादा होते हैं। मैं आज किसी से भी बात करने से नहीं हिचकिचाता, और अगर इसका मतलब है कि मुझे कुछ नया सीखने को मिलता है तो मैं 100 बार अपमान झेलने के लिए तैयार हूं।" 

वे कहते हैं, "लेकिन जब मुझे एहसास हुआ कि मैं कूल होने की 'किताबी डेफिनेशन' में फिट नहीं बैठता तो मैंने बुक ही बदल दी।" जाकिर मजाकिया आंदाज में कहते हैं कि वह रोमांटिक रूप से अभी भी संघर्ष करते हैं।

नए कंटेंट क्रिएटर्स या आज कंटेंट बनाने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए उनकी सबसे बड़ी सलाह है कि वे 'बेशरम' बनें और खुद पूछें कि वे क्या सोचते हैं कि वे किस लायक हैं, और 'इससे कम कुछ भी नहीं' के लिए समझौता करें, खासकर जब पैसे की बात आती है या उनके द्वारा किए गए काम के लिए भुगतान की बात आती है तो।

जब वह खुद एक कंटेंट क्रिएटर बनने की योजना बंद करने वाले थे, तो वे कहते हैं कि यह उनके पिता की एक बात थी जो उन्हें याद है। वे कहते हैं, "वालिद साहब ने मुझसे कहा 'बड़ा आदमी बनाना है', लेकिन उन्होंने मुझे यह नहीं बताया कि यह कैसे करना है या कितना बड़ा आदमी बनना है। मैं आज भी उनकी बताई बात पर काम कर रहा हूं, इसलिए जिस दिन वह कहेंगे, 'तुमने ये कर दिखाया', तो मैं रुक जाऊंगा।"


Edited by Ranjana Tripathi