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Amul को मिला अमेरिका का वीजा; देसी डेयरी जल्द शुरु करेगी दूध की बिक्री: रिपोर्ट

गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क दूध मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF) ने भारतीय प्रवासी और एशियाई आबादी को ध्यान में रखते हुए एक सप्ताह के भीतर अमेरिकी बाजार में Amul दूध के चार प्रकार लॉन्च किए हैं.

Amul को मिला अमेरिका का वीजा; देसी डेयरी जल्द शुरु करेगी दूध की बिक्री: रिपोर्ट

Tuesday March 26, 2024 , 3 min Read

अब जल्द ही अमूल डेयरी (Amul Dairy) का ताज़ा दूध भारत के बाहर भी बिक्री के लिए उपलब्ध होगा. गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क दूध मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF) ने भारतीय प्रवासी और एशियाई आबादी को ध्यान में रखते हुए एक सप्ताह के भीतर अमेरिकी बाजार में दूध के चार प्रकार लॉन्च किए हैं.

GCMMF के एमडी जयेन मेहता ने पीटीआई-भाषा को बताया, "हम कई दशकों से डेयरी प्रोडक्ट्स का निर्यात कर रहे हैं. यह पहली बार है कि हम भारत के बाहर ताजा दूध लॉन्च कर रहे हैं."

उन्होंने कहा, "GCMMF ने अमेरिकी बाजार में ताजा दूध लॉन्च करने के लिए 108 साल पुराने सहकारी संगठन मिशिगन मिल्क प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (MMPA) के साथ समझौता किया है."

दूध का संग्रहण और प्रसंस्करण MMPA द्वारा किया जाएगा, जबकि GCMMF अमूल ताजा दूध की मार्केटिंग और ब्रांडिंग करेगा.

उन्होंने कहा, "रेसिपी हमारी होगी. एक सप्ताह के भीतर अमूल ताजा, अमूल गोल्ड, अमूल शक्ति और अमूल स्लिम एन ट्रिम अमेरिकी बाजार में उपलब्ध होंगे."

मेहता ने कहा कि ताजा दूध न्यूयॉर्क, न्यू जर्सी, शिकागो, वाशिंगटन, डलास और टेक्सास सहित अन्य शहरों में उपलब्ध होगा. GCMMF प्रवासी भारतीयों और एशियाई आबादी को लक्षित करेगा. बिक्री लक्ष्य के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि GCMMF अगले 3-4 महीनों तक ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर ध्यान केंद्रित करेगा.

उन्होंने कहा, "हमें ग्राहकों से अच्छी प्रतिक्रिया की उम्मीद है." मेहता ने कहा कि GCMMF निकट भविष्य में पनीर, दही और छाछ जैसे ताजा दूध प्रोडक्ट भी लॉन्च करेगा.

वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान, GCMMF का कारोबार लगभग 55,000 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष से 18.5 प्रतिशत अधिक है. GCMMF पहले से ही लगभग 50 देशों में डेयरी उत्पादों का निर्यात कर रहा है.

ऐसे हुई थी अमूल डेयरी की शुरुआत

अमूल डेयरी की शुरुआत तब हुई थी जब हमारा देश आजादी की लड़ाई लड़ रहा था. सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे दूरदर्शी और क्रान्तिकारी नेता ने सोचा कि किसानों को आर्थिक मजबूती तभी प्रदान की जा सकती है जब वे दलालों की मजबूत पकड़ से बाहर आ सकेंगे. 4 जनवरी 1946 में स्मारखाँ (खेडा जिला) गुजरात में एक मीटिंग में इस पर विचार किया गया कि हमको सहयोगी गाँवों में दुग्ध उत्पादन केंद्र बनाने चाहिए. फिर पहली सहकारी संस्था आणंद में बनाई गई जहाँ छोटे किसानों ने साथ में आकर हाथ मिलाया और एक गाँव का एक सहकारी समूह तैयार किया जिसने अमूल के नाम से पूरे देश में सफलता प्राप्त की. इसका पंजीकरण दिसम्बर 1946 में किया गया और फिर मुम्बई योजना के अन्दर दुग्ध उत्पादन की सप्लाई 1948 में शुरू की गई. 1973 में यह गुजरात सहकारी दुग्ध मार्केटिंग फ़ेडरेशन लि. में तबदील हो चुकी थी और अमूल के नाम से लोकप्रिय हुई. AMUL का पूरा नाम 'आनंद मिल्‍क यूनियन लिमिटेड' है.

1950 से डेयरी चलाने का काम श्‍वेत क्रांति के जनक डॉ वर्गीज कुरियन और संस्थापक अध्यक्ष त्रिभुवनदास पटेल के हाथों में सौंपा गया. Milk Production सेक्टर में सहकारी यूनियन की स्थापना के साथ ही किसानों के पास डेयरी का स्वामित्व था. समय आगे बढ़ा तो उन्होंने प्रोफेश्‍नल्‍स को डेयरी संचालित करने और इसके व्यवसाय का प्रबंधन करने के लिए नियुक्त किया. अमूल मॉडल ने भारत को दुनिया में सबसे बड़े दूध उत्पादक के रूप में उभरने में मदद की.